एक जाम तेरे नाम का तेरी खुशियों की खातिर, बिछड़ने का गम बर्दाश्त कर लेंगे, नम अगर होंगी पलकें तो, अश्कों को जाम में घोल के पी लेंगे, दर्द तो होगा जब जब बैठेगी, महफिल यारों की, एक जाम तेरे नाम का भी, ‘बेतौल’ सामने रखेंगे। लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल) Share with your loved ones.