एक है कोई तेरा दीवाना सा, सामने आंखों के पर अनजाना सा,
फिकर है जिसे तेरे मन की, है खुद के मन से बेगाना सा,
बसाया है भीतर इसने तुम्हें, नसों में बहते रक्त सा,
पूजता है तुझे अपने मन मंदिर में, एक भक्त सा,
संजोय तुझे अपने भीतर, जिंदगी की खुशी सा,
तेरा नाम उसके होंठों पर, आ जाता है एक हंसी सा|
लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)