क्या क्या देखा ?

क्या क्या देखा ?

कभी धूमिल, कभी रंग सुनहरा देखा,

आखिरी उम्मीद का टूटता तारा देखा (से हारा), किस्मत से हुआ बुलंद, सितारा देखा,

खोखली हंसी में छिपा, घाव गहरा देखा,

मुखौटों के पीछे, हंसता कुटिल चेहरा देखा

मुस्कुराहटों पर पहरा देखा, काले मन का गोरा देखा,

सूरज के हृदय में अंधेरा देखा, अमावस में भी सहरा देखा,

आंखों वाला अंधरा देखा, कानों वाला बहरा देखा,

लंग दौड़ता बिना सहारा देखा, पैरो वाला हारा देखा,

बहता पानी जमता देखा, जोगी घर में रमता देखा,

विदूषक को रोता देखा,

मेहनती का मुकद्दर सोता देखा, धूर्त कपटी को सुखों में लपटा देखा,

संन्यासी का यौवन पर रपटा देखा,

अमीर का (गरीबों की) रोटी पर झपटा देखा,

बरगद पीपल कटता देखा, अमरबेल को बढ़ता देखा,

आंखों का पानी मरता देखा, बेशर्मी को चढ़ता देखा,

नेता, अधिकारी को डपटता देखा,

ज़हीनों का जाहिलो से निकटता देखा

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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