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तुम बिन हम

शांत गुजर गई कल की रात,

बस आती जाती रही याद,

बंद आंखें, घना अंधेरा,

आंसू भिगोते रहे चेहरा,

नीरव खामोशी का पहर,

न रोशनी कहीं, न हुई सहर (सुबह),

चलचित्र सा रहा, वो मंजर,

हंसते बहुत हो, मन के दर्द छिपाने को,

खुश नहीं आंखों की गहराइयों में,

शांत थी बादलों की बरसात,

खिले चांद सितारे की रात,

सुनो नदी के मन की बात,

कांधे सर हाथ में हाथ,

कुछ कह रहे शीतल धारे,

बैठे एक दूसरे के सहारे,

उस नदी के किनारे,

दूर हुए बादल कारे,

धारे को किनारे बांधे,

किनारों को लहरें साधे,

लहरें और किनारे, बिन एक दूजे के आधे,

रहेंगे हमेशा साथ, किए ये वादे,

नदी की गहराई किनारों से होती है,

किनारों की गरिमा, लहरों धारों से होती है।

तुम बिन हम

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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