मेरे भीतर बसी है, खुशबू तेरी, अब भी मैं महक लेता हूं,
यादों में हैं, कुछ बातें तेरी, अब भी मैं चहक लेता हूं,
पिलाए थे कभी, दो घूंट प्यार के, अब भी मैं बहक लेता हूं,
आए थे मेरी जिंदगी में, एक जगमग दिए जैसे, अब भी मैं चमक लेता हूं,
देखा था तुमने, मुस्कुराती आंखों से, अब भी मैं हंस लेता हूं,
चले जाते हो, फिर कल आने के लिए, न देखूं तुझे जाते हुए, मैं बंद आंख कर लेता हूं,
वादा किया था, फिर आओगे, उठकर नींद से, मै राह ताक लेता हूं,
तकलीफें मुसलसल दी तुमने मुझे, अब भी मैं दुआओं में तेरी खुशियों को रख लेता हूं।
लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)