थोड़ी सी हंसी

थोड़ी सी हंसी, थोड़ी सी खुशी, आज आ क्यूं मन बसी,

मदहोश कर गईं वो निगाहें, हृदय में कहीं जा धंसी,

जान मेरी फड़फड़ा रही ऐसे, जाल में जैसे कोई चिड़िया हो फंसी,

ओ दर्द देने वाले, दवा है तुम्हें देना, इलाज को न जाऊं मैं द्वार किसी,

बीच राह मिली कोई पुरानी सी, सूरत बहुत जानी पहचानी सी,

थी कभी मेरी जान सी, आई आज मेहमान सी|

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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