दीवानगी का आलम

1. तुम आओगे या नहीं, हुए खूब गुणा भाग, जोड़ घटाने कशमकश के,

2.कहीं से मिल जाए एक झलक तेरी, चलाए सभी तीर अपने तरकश के,

3.चल देते थे कदम तेरी तरफ, अब न रहे ये मेरे वश के,

4.हाल मेरा देख सब, पूछते थे सबब, बताते न कुछ, निकल जाते थे बस हंस के,

(तेरी यादें)

5.यादों से तेरी होती है कभी बेचैनी, कभी होती हलचल सी,

6.कभी जलती धूप, कभी लगती छांव तेरे आंचल सी,

7.तीखी सख्त कील सी चुभन, कभी शीतल मलमल सी,

8.हर बात याद है तेरी, रहती है दिल में झिलमिल सी,

(तेरा इकरार, बदले दिन रात)-

9.कैसी होगी मुलाकात, क्या क्या होगी बात, सम्हलेंगे कैसे, ये मचलते हुए जज़्बात,

10.ऐ अश्कों, अब बह निकलो, न बचे दरम्यां गिले शिकवे, न चुभें ख्यालात,

11.जुबां होगी खामोश, आंखें करेंगी बात, भर लें एक दूजे को आगोश में, थामें रहें हाथ,

12.यूं उमड़ रही हैं हसरतें, लगता है आज न रुकेगा, न थमेगा, अरमानों का प्रपात,

13.जब तलक खाली न हो जाएं, मयखाने तेरी आंखों के, पी लूंजी भर, आज सारी रात,

14.पिघलेंगे पत्थर हृदय के, अधर रहेंगे मौन, साथ तुम हो तो, कल का इंतजार अब करेगा कौन,

15.तूही दुआ मेरी, तूही तो है बंदगी, आज ही बस आज ही, जी लेनी है सारी जिंदगी, बस यूं ही बने रहो मेरे साथ, सारी रात, तुम तो बसे हो मेरे रोम रोम, मेरे हर शाख, हर पात,

16.मिलोगे तुम मुझे, देखेगी सारी कायनात, मैं भ्रमर तुम पारिजात, अब न थमेगी, ‘बेतौल’ होने दो प्रेम की बरसात!!!

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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