हम तेरे शहर में हैं

हम तेरे शहर में हैं आज की सारी रात,

मिले गर फुरसत तो, करना मुलाकात,

मिलना मुनासिब न हो तो, कर लेना बात,

इंतजार रहेगा तुम्हारा, तुम्हे नींद आने तक,

‘बेतौल’ जगा कर रखेंगे, अपने जज़्बात,

वरना, तुम तय कर लेना वक्त,

अगली बार कब आओगे साथ!!

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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