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क्यूं जा रहे हो दूर मुझसे

क्यूं जा रहे हो,

दूर मुझसे,

यूं रूठकर,

प्यार दे सकते हैं,

जी भर तुम्हें,

पर आता नहीं मनाना,

वसीयत फूलों की,

तुम्हारे नाम है,

खार कोई दिखे तो,

मुझे भिजवाना,

पैर नंगे हैं,

राहें कंटीली, पथरीली,

चुभेंगे शूल कई,

पांव जख्मी,

हो जायेंगे,

तुम्हारे,

मरहम के लिए,

अपने दिल से,

याद कर लेना,

माना तुम्हें,

अपना,

अब खुद को,

क्या मानना?

चाहा तुम्हें ‘बेतौल‘,

फिर और,

तुमसे क्या

चाहना ?

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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