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गुजर गए कारवां

गुजर गए कारवां सब,

फिर भी न तेरा सूरत–ए-अख्तियार हुआ,

बाद इंतजार के कयामत ही हुई ‘बेतौल’,

नजर उतार लेना आज खुद की, कि,

इक हुस्न का इस लिबास में दीदार हुआ..

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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