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तेरे अख्तियार में

उम्मीद थी तेरे आने की, दिल की शमां, जली अकेली, इस बाज़ार में,

ढली न पलकें, एक पल भी, ताकती रहीं आंख, राह शब भर, सांवरिया तेरे इंतजार में,

चाहा था, हो हयात में मेरे, तुम भी शामिल, ढा रहे हो, क्यूं कहर, बन कर कातिल,

क्या गुनाह हो गया मुझसे, हम तो बेसबब हुए खुद से,

भूल गए हम, सब दर्द ओ गम, आ बैठे हैं तेरे अख्तियार में…..

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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