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हो गए हो, आदत से, रफ्ता रफ्ता

वो पहला ही दिन था,

तुम्हारी आंखों में,

पढ़ लिया था मैने,

तुम आओगे जरूर,

मेरी जिंदगी में,

रफ्ता रफ्ता,

बेचैनी में गुजरे दिन,

न कटती थीं रातें,

तारों सितारों की,

पढ़ने लगे चाल,

रफ्ता रफ्ता,

खामोश इकरार से तेरे,

खिल गए है गुल,

मन के गुलशन में,

होठोंपे मुस्कान आई,

रफ्ता रफ्ता,

न उम्मीद थी कोई,

न था पता,

चाहूंगा तुम्हें इतना कि,

यूं फैल जाओगे,

रगों में रफ्ता रफ्ता,

मुश्किलों से बहुत,

मिले हो मुझको,

‘बेतौल’ हो गए हो,

अब तो आदत से, रफ्ता रफ्ता।।

लेखक - अतुल पाण्डेय (बेतौल)
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