अब आए हो बन के बादल
तड़पे हैं, जले हैं भरी धूप में उम्र भर, व्यथा कही न कभी किसी से पर, अब आए हो बन के बादल, कुछ तुम पागल, कुछ मैं भी पागल, फैला लो अपनी बाहों को जैसे अंबर, थक सा गया हूं भागते दौड़ते, कितना नीर सरहा जिंदगी का सफर, सहज हो … Read more