दीवानगी का आलम

1. तुम आओगे या नहीं, हुए खूब गुणा भाग, जोड़ घटाने कशमकश के, 2.कहीं से मिल जाए एक झलक तेरी, चलाए सभी तीर अपने तरकश के, 3.चल देते थे कदम तेरी तरफ, अब न रहे ये मेरे वश के, 4.हाल मेरा देख सब, पूछते थे सबब, बताते न कुछ, निकल … Read more