कुछ ऐसे गुजरा सावन

तन माटी का, जला धूप में, हो बिरहन, न छांव कहीं, कुछ ऐसे गुजरा सावन, जलते रहे दिन, उमस भरी रातें गईं यादों में, आज आई सांवरी बदरी बरसी भादों में, ए सांवरिया, तेरी झलक ही हिय हर्षाए, कुछ बूंदें तेरी पाते ही, तपती सूखी माटी से सोंधी खुशबू आए, … Read more

खूबसूरत है हर वो पल

खूबसूरत है हर वो पल, जो तुम्हारे साथ बीता, सहेजता हूं हर पल, मैं था एकदम रीता, अक्सर खामोश रहता हूं, तुमसे हुई उन थोड़ी बहुत बातों को याद करता हूं, खुली आंखों से देखा तो बरबाद था मैं, आंखें बंद कर लेता हूं, तुम्हे अपने संग महसूस कर झूठ … Read more

दामन भी तो नहीं फैलाया है

हम तो, कदम दर कदम तेरी तरफ बढ़ते रहे, वक्त तो बेमुर्रवत था मेरा, तुम भी नई दूरियां गढ़ते रहे, आंखें तुम्हारी बयां करती हैं कि, तुम्हारे दिल में एक कोना कहीं मैने पाया है, पर, दरम्यान था जो फासला, अभी तक मिट न पाया है, यूं तो,ख्वाहिश – ए … Read more

गुजर गए कारवां

गुजर गए कारवां सब, फिर भी न तेरा सूरत–ए-अख्तियार हुआ, बाद इंतजार के कयामत ही हुई ‘बेतौल’, नजर उतार लेना आज खुद की, कि, इक हुस्न का इस लिबास में दीदार हुआ.. लेखक – अतुल पाण्डेय (बेतौल)

वक्त आज, ठहरा तो है

हम तो दूर हैं, अपने शहर, घर और अपनों से, हैं अनजान शहर में एक अजनबी से, क्या बयां करें शिकवा, क्यूं गिला हो इस जमीं से, वक्त आज, ठहरा तो है ‘बेतौल’, पर, बदलेगा जरूर, क्या किसी ने, रुकता हुआ, देखा है किसी से ? लेखक – अतुल पाण्डेय … Read more

अशोक चक्र विजेता, “नायक नर बहादुर थापा”

अशोक चक्र विजेता “नर बहादुर थापा” 5 बटालियन 5 रेजीमेंट, गुरखा सेना भरती, नौजवानो टोली, नहीं किसी से डरती। कठिन समय टोली करे काम, दावक में कूद पड़ते, ले देश का नाम।।१ स्वतंत्र भारत छोटे राज्य विलय, एक राष्ट्र हिंदी भाषा, एक ही निलय। राष्ट्र था सबल बनाना, बहुत जगह … Read more

तुम बिन हम

शांत गुजर गई कल की रात, बस आती जाती रही याद, बंद आंखें, घना अंधेरा, आंसू भिगोते रहे चेहरा, नीरव खामोशी का पहर, न रोशनी कहीं, न हुई सहर (सुबह), चलचित्र सा रहा, वो मंजर, हंसते बहुत हो, मन के दर्द छिपाने को, खुश नहीं आंखों की गहराइयों में, शांत … Read more

एक जाम तेरे नाम का

तेरी खुशियों की खातिर, बिछड़ने का गम बर्दाश्त कर लेंगे, नम अगर होंगी पलकें तो, अश्कों को जाम में घोल के पी लेंगे, दर्द तो होगा जब जब बैठेगी, महफिल यारों की, एक जाम तेरे नाम का भी, ‘बेतौल’ सामने रखेंगे। लेखक – अतुल पाण्डेय (बेतौल)

ओ खुशी, ऐ खुशी

ओ खुशी,ऐ खुशी कई दिनों बाद कल, दिखी थी खुशी चंचल, मासूम सी निश्चल, झलक दिखा, हंसी बिखरा, चली गई, रुकी बस कुछ पल, थी वो जिम्मेदारियों से विव्हल, कुछ धागे चिंता के दिखे थे तेरी भोली चितवन में, तू तो चली गई फिर मुस्कुरा कर, वो धागे उलझ गए … Read more

एक तुम्हारी याद

एक तुम्हारी याद है, भीड़ हो या तन्हाई, साथ छोड़ जाती नहीं, और, एक तुम हो, दीं जिसे लाख दुहाई, साथ मेरे आती नहीं! दिल में लगी है जो आग, रोज उससे रोशन करते है, अपने कमरे के चिराग, मुश्किलों से ज़ज़्ब करते हैं, थरथराते होठों के राग, ‘बेतौल’, दिल … Read more