हो गए हो, आदत से, रफ्ता रफ्ता

वो पहला ही दिन था, तुम्हारी आंखों में, पढ़ लिया था मैने, तुम आओगे जरूर, मेरी जिंदगी में, रफ्ता रफ्ता, बेचैनी में गुजरे दिन, न कटती थीं रातें, तारों सितारों की, पढ़ने लगे चाल, रफ्ता रफ्ता, खामोश इकरार से तेरे, खिल गए है गुल, मन के गुलशन में, होठोंपे मुस्कान … Read more

ये एहसास और है। (ग़ज़ल)

खुशबू होती तो है हर फूल में, बात गुलों की हो तो, गुलाब और है, नशा तो बहुत है इस जहां में, पी जो तेरी आंखों से वो शराब और है, फर्क पड़ता नहीं सामने कौन है, छज्जे के उस कोने में तेरा दीदार और है, पूर्णमासी हो या रात … Read more

अपनेपन का क्रम व्युतक्रम है….

टुकड़ा टुकड़ा टूटा हूं, जर्रा जर्रा बिखरा हूं, अश्क झरते हैं आंखों से, मनको समझाता रहता हूं, नींद से रिश्ता खत्म हुआ, अगिनत रातों से जागा हूं, समझा जिनको अपना था, उनसे ही बेजार हुआ, नादान था ये दिल बहुत, जाने क्यूं उन्हीं से प्यार हुआ, आंसू उनकी आंखें में … Read more

गुलाबी नशा

आप जो, गुलाबी गुलाबी हो रहे हैं, जान लो, हम शराबी हो रहे हैं, तुम्हारे नैनों की, मस्ती को पी रहे हैं, मान लो, इस लिए ही हम जी रहे हैं, पिला तो दी तुमने, अपनी अंखियों से, जिक्र न करना कभी कहीं, न कहना अपनी सखियों से, धरा हिल … Read more

अहसास लिखता हूं

मैं अहसास लिखता हूं, तुम्हारे हमारे आस पास लिखता हूं, कुछ आम लिखता हूं, कुछ खास लिखता हूं, यमक या श्लेष लिखता हूं, अलंकार अनुप्राश लिखता हूं, सूर्य का प्रकाश लिखता हूं, कुछ कुहास लिखता हूं, भयावह नीम अंधेरा लिखता हूं, अंधेरे से लड़ते नन्हें दीपक का प्रकाश लिखता हूं, … Read more

एक है कोई तेरा दीवाना

एक है कोई तेरा दीवाना सा, सामने आंखों के पर अनजाना सा, फिकर है जिसे तेरे मन की, है खुद के मन से बेगाना सा, बसाया है भीतर इसने तुम्हें, नसों में बहते रक्त सा, पूजता है तुझे अपने मन मंदिर में, एक भक्त सा, संजोय तुझे अपने भीतर, जिंदगी … Read more

मैं हार कर तेरा हो जाऊंगा

मैं हारता जाऊंगा, तब तलक, प्यास जीतने की तेरी, न बुझेगी जब तलक, तुम जीत कर, मुझे अपना बना लेना, मैं हार कर तेरा हो जाऊंगा, हारूं मैं या जीत जाओ तुम, हर सूरत में मुझे तो है फायदा, रखोगे हमेशा साथ मुझे, बस कर लो ये वायदा, हमने तो … Read more

अब आए हो बन के बादल

तड़पे हैं, जले हैं भरी धूप में उम्र भर, व्यथा कही न कभी किसी से पर, अब आए हो बन के बादल, कुछ तुम पागल, कुछ मैं भी पागल, फैला लो अपनी बाहों को जैसे अंबर, थक सा गया हूं भागते दौड़ते, कितना नीर सरहा जिंदगी का सफर, सहज हो … Read more

दीवानगी का आलम

1. तुम आओगे या नहीं, हुए खूब गुणा भाग, जोड़ घटाने कशमकश के, 2.कहीं से मिल जाए एक झलक तेरी, चलाए सभी तीर अपने तरकश के, 3.चल देते थे कदम तेरी तरफ, अब न रहे ये मेरे वश के, 4.हाल मेरा देख सब, पूछते थे सबब, बताते न कुछ, निकल … Read more

इक किताब सा है चेहरा तेरा

इक किताब सा है चेहरा तेरा, आवरण में लगाई मुस्कुराहट, नाम खुशी तुमने इसका धरा, आंखों से रंग भी खूब भरा, इसकी प्रस्तावना में तुमने, समेंटे अहसास खुशियों वाले पल के, भीतर कहानियों गीतों में भी, लिखे शब्द हल्के फुल्के, पढ़कर जिन्हें, अहसास न हों मन की हलचल के, आवरण … Read more